- छठ पुजा की ढेर सारी शुभकामनाएं ।
छठ पुजा दीवाली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के छठी तिथि को मनाया जाता है। यह हिन्दू धर्म का विशेष पर्व है। छठ पुजा बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, नेपाल में मनाया जाता है ।
छठ पुजा का मुख्य उद्देश्य छठ मईया और सूर्य देव को पुजा करना होता है । छठ मईया और सूर्य देव सभी लोगो का मनोकामना पूर्ण करती है।
छठ मईया आपका सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें।
Happy chhath puja !!!
Jay chhathi maa !!
Wish you a very very happy chhath Puja we are celebrating chhath puja and enjoying a lot .
*** ये छठ पूजा जरुरी है ।
जरा एक बार सोच कर देखिए सोचने में क्या जा रहा हैं ?
*ये छठ जरुरी है* :
हम-आप सभी के लिए जो अपनी जड़ों से कट रहे हैं ।उन बेटों के लिए जिनके घर आने का ये बहाना है।
*ये छठ जरुरी है* :
उस माँ के लिए जिन्हें अपनी संतान को देखे महीनों हो जाते हैं |
उस परिवार के लिये जो टुकड़ो में बंट गया है |
*ये छठ जरुरी है* :
उस नई पौध के लिए जिन्हें नहीं पता की दो कमरों से बड़ा भी घर होता है |
उनके लिए जिन्होंने नदियों को सिर्फ किताबों में ही देखा है |
*ये छठ जरुरी है* :
उस परंपरा को ज़िंदा रखने के लिए जो समानता की वकालत करता है ।
जो बताता है कि बिना पुरोहित भी पूजा हो सकती है |
*ये छठ जरुरी है* :
जो सिर्फ उगते सूरज को ही नहीं डूबते सूरज को भी प्रणाम करना सिखाता है |
*ये छठ जरुरी है* :
गागल, निम्बू और सुथनी जैसे फलों को जिन्दा रखने के लिए |
*ये छठ जरुरी है* :
सूप और दउरा को बनाने वालों के लिए |
ये बताने के लिए कि , इस समाज में उनका भी महत्व है |
*ये छठ जरुरी है* :
उन पुरुषों के लिए जो नारी को कमज़ोर समझते हैं |
*ये छठ जरुरी है , बेहद जरुरी* ||
बिहार के योगदान और बिहारियों के सम्मान के लिए |
सांस्कृतिक विरासत और आस्था को बनाये रखने के लिए |
परिवार तथा समाज में एकता एवं एकरूपता के लिए l
*****तीन दिवसीय छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ !!!!
मंदिर की घंटी, आरती की थाली,
नदी के किनारे सूरज की लाली,
जिंदगी में आए खुशियों की बहार,
आपको मुबारक हो छठ का त्यौहार❤☀️
उगते सूरज से पहले होती है ,अस्त होते सूर्य की पूजा।
छठ पर्व से निराला नहीं कोई पर्व दूजा।
एकता में अनेकता की संस्कृति को दर्शाता है ,ये अद्भुत पर्वछठ के इस पावन पर्व में नहीं है कोई जात-पात का भेद।छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
#सनातन_धर्म_ही_सर्वश्रेष्ठ_है ।
छठ पूर्वांचल(बिहार, यूपी के कुछ भोजपुरी भाषी छेत्र) और मधेश(नेपाल का समतल इलाके) का त्योहार है जिसे हम लोग मनाते है। लेकिन आज छठ से बाकी जगह की स्थानीय संस्कृति प्रभावित हुई है और बंगाल, गुजरात ,राजस्थान , दक्षिण भारत और विश्व के कई देशों में इसका प्रचार प्रसार हो चुका है और लोग छठ पुजा को अपना रहे है।
छठ पूजा नदियों के घाटों के साफ सफाई से जुड़ा है, इसमें कोई ब्राह्मण पूजा नही कराते लोग खुद ही पूजा करते है आपस में मिल जुल के कोई आडंबर नही होता और ये पर्व सीख देता है की हर डूबने वाला सूरज कल फिर से उग आता है । छठ प्रकृति से जुड़ा पर्व है और इसका कोई नुकसान नहीं अपितु लाभ ही लाभ है तो ऐसे पर्व को अन्य लोग भी अपनाए तो अच्छा ही है समाज और देश के लिए।
छठ के जैसा एक और पर्व होता है मिथिला क्षेत्र में जिसको हम चकचंद या चौरचन पूजा कहते है। जिसमे हम लोग चांद को अर्घ देते है जैसे छठ में सूर्य को । ये पर्व चौठ के चांद के दिन होता है जिस दिन बाकी संस्कृति में चांद को देखना शुभ नही माना जाता लेकिन मिथिला में उसी दिन चांद को देख के उनको अर्ग अर्पित करते है लेकिन ये लोकपर्व अभी छठ के जैसा प्रसिद्धि नही पा सका है ।