- ****हनुमान चालीसा —–
जय श्री राम जी ।।
जय श्री हनुमान जी ।।
हनुमान चालीसा —
श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज – हनुमान चालीसा का लेखक श्रीगोस्वामी तुलसीदास जी महाराज हैं ।
**** श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज द्वारा पहले हनुमान चालीसा के 10 चौपाई में हनुमान जी की शक्ति का बखान किया गया है। 11 से 20 चौपाई में भगवान राम जी का गुणगान किया गया है । 21 से 35 तक भगवान लक्ष्मण के बारे में और आखिरी की चौपाई हनुमान जी की कृपा के बारे में बताती है। इस प्रकार तुलसीदास की 40 चौपाई को हनुमान चालीसा कहा गया है।
– ऐसा कहां गया है कि हनुमान चालीसा पढ़ने वालों को भूत प्रेत का डर नहीं होता है । और अकाल मृत्यु नहीं होता है । इसलिए कहते हैं कि व्यक्ति को रोज एक बार हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए ।–
————हनुमान चालीसा——————-
- दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।
कांधे मूंज जनेउ साजे।।
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानु।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा।
जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै।।
अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
हे अतुलित बल धामा , हे सुमेरु शरीर वाले , हे सीताराम प्रिये , हे अंजनेय , हे पवनपुत्र , हे सूर्यदेव शिष्य, हे अष्टसिद्धि नव निधि के दाता , कल्याण करें कल्याण करें कल्याण करें ।
** सर्व बाधा हराए भोमाए नमः ।। 21 ।।
** नीलाम्बुज श्यामल कोमलांगम सीतासमारोपित वामभागम् |
पाणौ महासायकचारूचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम् ||
– रामचरितमानस हिंदी (अयो. का. श्लोक ३)
Whose body has the colour of a blue lotus and grey, whose body parts are soft On whose left side resides Sita Who has a transcendental arrow and a beautiful bow in His hands I pray to that Sri Ram who is the Lord of Raghu dynasty ।।
घने नीले बादल के समान श्याम रंग वाले प्रभु श्री राम, जिनके बायीं और कोमल अंगों वाली सीता जी विराजमान हैं, जिन प्रभु श्री राम के हाथों में शत्रुओं को जीतने वाला महा धनुष है, उन भगवान् श्री राम को नमस्कार करता हूँ ।।
****** *********** ******* ******* *****************श्री तुलसी दास जी महाराज –
श्री तुलसीदास जी ने ब्रह्मराक्षस की सहायता से हनुमान जी के दर्शन पाए जब उनको हनुमान जी के दर्शन हुए तब उन्होंने श्री राम जी के दर्शन का हनुमान जी से अनुरोध किया तब हनुमान जी बोले कि तुम चित्रकूट घाट पर जाओ । वहीं पर प्रभु श्री राम के दर्शन होंगे । वहां पर जाकर श्री तुलसीदास ने राम कथा आरंभ कर दिया । फिर एक दिन श्री तुलसीदास जी महाराज व्याकुल हो उठे और बोले की लगता है कि अब मुझे श्रीराम प्रभु के दर्शन नहीं हो पाएंगे तब सपने में आकर श्री हनुमान जी ने तुलसीदास को यह आश्वासन दिया कि जाओ कल तुम्हें प्रभु श्री राम के दर्शन होंगे । तब श्री तुलसीदास जी महाराज को प्रभु श्री राम के दर्शन हुए ।
श्री गोस्वामी तुलसीदास की प्रसिद्ध रचना : श्रीरामचरितमानस, हनुमान चालीसा
Nice
Thank you 🙏🙏🙏
Very good… Nice 💖💖💖
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