जब मौसम बदलता है, तो मानसून के प्रभाव के कारण बाढ़ का खतरा विश्वभर में मंडराने लगता है , भारत में बाढ़ का आपदा सबसे आम प्राकृतिक आपदा है , दक्षिण-पश्चिम में ब्रह्मपुत्र और अन्य नदियां के जल स्तर बढ़ने से अक्सर आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ आ जाती है और कई राज्य इसके चपेट में आ जाता है भारत में मानसून आते ही कुछ राज्यों को बाढ़ का सामना करना पड़ता है।
***भारत में बाढ़ का प्रभाव (Flood in India) — 2006 और 2017 की मुंबई सहित पूरे मध्य भारत को बाढ़ से जूजना पड़ा था ।
*****मुंबई में बाढ़ (Mumbai Flood) ——–
साल 1901-2015 के दौरान, मध्य और उत्तरी भारत में अत्यधिक वर्षा की घटनाओं में तीन गुना वृद्धि हुई है. भारत के गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, ओडिशा, बिहार, झारखंड, असम, गोवा, उत्तरी कर्नाटक और दक्षिण केरल बाढ़ग्रस्त राज्य रहे हैं. अत्यधिक बारिश की घटनाओं की बढ़ती संख्या को अरब सागर में बढ़ती गर्मी के कारण मानसूनी हवाओं के उतार-चढ़ाव में वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है. इसके परिणामस्वरूप अरब सागर से उपमहाद्वीप में नमी में कभी-कभी वृद्धि होती है, जिसके कारण भारी बारिश 2-3 दिनों तक चलती है और बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है ।
2017 में गुजरात में आए बाढ़ के कारण लगभग 200 से अधिक लोगों की मौत हुई थी (Gujarat Flood). अगस्त 2018 में केरल में बाढ़ में 445 जान-माल का नुकसान हुआ था (Kerala Flood). इसी तरह 2020 में हैदराबाद में अचानक आई बाढ़ से 98 लोगों की मौत हुई (Hyderabad Flood). 2021 उत्तराखंड में बाढ़ में रोंटी चोटी से हिमस्खलन से काफी नुकसान हुआ (Uttarakhand Flood). 2021 में महाराष्ट्र में भारी वर्षा के कारण महाड और चिपलून में लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ा (Maharashtra Flood). जून 2022 में असम राज्य में ज्यादा बारिश के कारण बाढ़ के प्रकोप का सामना करना पड़ा (Assam Flood).
दिल्ली में अभी भी मंडरा रहा बाढ़ का खतरा, इन इलाकों में भरा पानी !
यमुना का जलस्तर गिरने का सिलसिला जारी है लेकिन निचले इलाकों में पानी अभी भी जमा हुआ है क्योंकि दिल्ली में यमुना अभी भी खतरे के निशान से दो मीटर ऊपर बह रही है. यमुना बाजार, कश्मीरी गेट, सिविल लाइन्स और मजनू का टीला… यहां तक कि मयूर विहार के राहत शिविरों तक यमुना का पानी पहुंच चुका है.
इन दिनों पूरा पंजाब इन दिनों बाढ़ से जूझ रहा है. इस प्राकृतिक आपदा में 43 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 1.71 लाख हेक्टेयर में फैली फसलें बर्बाद हो गई हैं. 23 जिलों के 1902 गांव पानी में पूरी तरह से डूब गए हैं, जिससे 3,84,205 लोग प्रभावित हुए हैं.
पंजाब में इस समय भयंकर बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. सरहदी सूबे के 23 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं और 1900 से ज्यादा गांव पानी में डूबे हुए हैं. इस आपदा में अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है और 3,84,000 से अधिक लोग बाढ़ की चपेट में हैं. 1,50,000 हेक्टेयर से अधिक फसल बर्बाद हो गई है. सेना और एनडीआरएफ की टीमें लगातार बचाव कार्य में जुटी हैं और 20,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया है.
पंजाब का मौशम –
पंजाब में भीषण बाढ़ से अब तक 30 मौतें हो चुकी हैं और 2.56 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं. 1,300 से ज्यादा गांवों और 96,000 हेक्टेयर खेतीबाड़ी को नुकसान पहुंचा है , NDRF, आर्मी और पुलिस राहत कार्यों में जुटी है. होशियारपुर में हालात गंभीर हैं. सरकार ने स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए हैं और मेडिकल कैंपों के जरिए स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही हैं.
मथुरा का ऐतिहासिक विश्राम घाट, जहां भगवान कृष्ण ने कंस का वध करने के बाद विश्राम किया था, इस वक्त बाढ़ की चपेट में है ! मथुरा में यमुना नदी में आई बाढ़ का असर साफ दिखाई दे रहा है. विश्राम घाट भी इस बाढ़ की चपेट में है. यमुना के पानी ने पूरे घाट को अपनी आगोश में ले लिया
दिल्ली में यमुना का पानी अब पॉश इलाकों में भी घुस रहा है.दिल्ली के कश्मीरी गेट ISBT से लेकर ITO रोड तक सड़कों पर दरिया बह रहा है. इधर, कालिंदी कुंज में भी यमुना रौद्र रूप में बह रही है. इस बीच मौसम विभाग ने आज, 5 सितंबर के लिए भी बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया है.
पंजाब में इस समय भयंकर बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. सरहदी सूबे के 23 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं और 1900 से ज्यादा गांव पानी में डूबे हुए हैं. इस आपदा में अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है और 3,84,000 से अधिक लोग बाढ़ की चपेट में हैं. 1,50,000 हेक्टेयर से अधिक फसल बर्बाद हो गई है. सेना और एनडीआरएफ की टीमें लगातार बचाव कार्य में जुटी हैं और 20,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया है.
हिमाचल प्रदेश में इस बार बाढ़ और बारिश ने भारी नुकसान किया है. इन्फ्रास्ट्रक्चर, मानव जीवन और उद्योगों को क्षति पहुंची है. सेब उद्योग के अलावा होटल और पर्यटन उद्योग भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. मनाली में लगभग 3000 से 3500 होटल हैं, लेकिन पिछले दो महीनों से ऑक्यूपेंसी लगभग शून्य है.