**** छत्रपति शिवाजी महाराज —

शिवाजी महाराज का जन्म शिवनेरी के किले में 1627 मे हुआ था, जो अभी महाराष्ट्र के पुणे में पड़ता है । शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे और एक महान योद्धा थे, वे गोरिल्ला युद्ध मे पारंगत थे , वे भारत के एक महान राजनीतिक और वीर योद्धा थे, उन्होंने मुगल साम्राज्य को जड़ से उखाड़ दिया ।
*** 1674 मे शिवाजी को छत्रपति की उपाधि मिली
मराठा सिसोदिया वंश के राजपूत थे , जो राजस्थान से आए थे , मराठा का जो राजा था, उसे छत्रपति कहा जाता था और ब्राह्मणो को पेशवा कहा जाता था।
*** शिवाजी महाराज के पिता अहमदनगर के शासको के अंदर नौकरी करते थे । जब वहां मुगलों का शासन हो गया तो वह बीजापुर चले गए और उन्होंने अपने पत्नी और बेटों को एक छोटा सा जमीन का टुकड़ा शिवनेर के पास दे दिए । सबसे पहले शिवाजी महाराज ने बीजापुर को जीता, धीरे-धीरे उन्होंने किलो को जितना शुरू किया, किला जीतने के बाद उनके पास धन दौलत और आदमियों का सुरक्षा के लिए जगह मिलने लगा ।
*** 1657 में छत्रपति शिवाजी की मुलाकात औरंगजेब से हुआ । औरंगजेब ने शिवाजी महाराज के साथ संधि का प्रस्ताव रखा, लेकिन शिवाजी महाराज ने संधि के प्रस्ताव को नहीं माना। शिवाजी जब नहीं माने तो औरंगजेब ने अफजल खान को भेजा शिवाजी को मारने के लिए अफजल खान ने सोचा संधि के बहाने जाएंगे और शिवाजी पर वार करेंगे। लेकिन शिवाजी ने अफजल खान को मौत का घाट उतार दिया। इसी तरह छत्रपति शिवाजी महाराज ने मुगलों का 35 किलो पर कब्जा कर लिया।
*** 1664 में छत्रपति शिवाजी महाराज ने गुजरात को लूट लिया। उस समय सूरत व्यापार का सबसे अच्छा केंद्र था । औरंगजेब ने राजा जयसिंह को अपना मनसबदार बनाया था, औरंगज़ेब सबसे ज्यादा राजा जय सिंह पर विश्वास करता था ,उसने राजा जय सिंह को छत्रपति शिवाजी महाराज को पकड़ने के लिए भेजा ।
***1665 में राजा जयसिंह ने शिवाजी के किले पर चढ़ाई कर दी, राजा जयसिंह ने सबसे पहले पुरंदर के किले के आसपास के स्थान पर घेराबंदी कर दी घेराबंटी करने के बाद शिवाजी महाराज के सेनाओ के पास खाने के लिए कुछ नहीं बचा । उसके बाद पुरंदर का संधि हुआ ।
***शिवाजी ने औरंगजेब से मिलने के लिए उनके किले में गए वहां पर औरंगजेब ने छत्रपति शिवाजी महाराज को बंदी बना लिया फिर उसके बाद शिवाजी महाराज ने औरंगजेब से बचते हुए बाहर आए और फिर अपना सेना एकत्रित किये और फिर औरंगजेब से बदला लेते हुए 1670 में सूरत को फिर से लूट लिया। औरंगजेब ने गुस्से में जजिया कर लगा दिया, धार्मिक स्तर पर औरंगजेब ने बहुत भेदभाव शुरू कर दिया , उसके बाद शिवाजी महाराज ने अपना राज्य अभिषेक कराया शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक बनारस के रहने वाले गंगा भट्ट ने किया था, अभिषेक होने के बाद वह छत्रपति शिवाजी कहलाए , अंतिम शन्य अभियान कर्नाटक था , शिवाजी महाराज ने अपने शौर्य और पराक्रम का परिचय देते हुए 1680 में वीरगति को प्राप्त हुए ।
https://www.britannica.com/biography/Shivaji
****छत्रपति शिवाजी के उत्तराधिकारी –
1. संभाजी महाराज
2. राजा राम
संभाजी महाराज के बेटे साहू जी महाराज थे , और राजाराम के बेटे शिवाजी द्वितीय थे ।
***छत्रपति शिवाजी महाराज के बाद संभाजी महाराज शासन संभाले ।
*****छत्रपति संभाजी महाराज –
मौत डरी थी
उसको देखकर
ये खुद मौत का दावा था ।
धरती को नाज था , उस शेर पर
क्योंकि वह शिवाजी का छावा था ।।।

1657 में छत्रपति संभाजी महाराज का जन्म हुआ।
2 साल की उम्र में ही उनकी माता का देहांत हो गया
, इनकी दादी जीजा बाई इनका पालन पोषण किये । इन्होंने 13 साल की उम्र तक 13 भाषाऐ सीख चुके थे , ये शस्त्र और शास्त्र दोनों में निपुण थे। इन्होंने 16 साल की उम्र में 60 किलो की तलवार लेकर पहला युद्ध रामनगर का जीता । इन्होंने उज्जैन के एक कवि को जिनका नाम कलश था उनको अपना सलाहकार बनाया , कवि कलश अपने कविताओं के माध्यम से इनको सोचने पर मजबूर करते थे, कवि कलश को छत्रपति शिवाजी महाराज हमेशा अपने साथ रखते थे, 19 साल की उम्र में इन्होंने अपने रायगढ़ के किले को संभालना शुरू कर दिया था। इन्होंने औरंगाबाद की किलो पर चढ़ाई की और वहां औरंगजेब के शासन को तहस-नहस कर दिया , औरंगजेब ने हुसैन अली खान को भेजा संभाजी महाराज को खत्म करने के लिए लेकिन 2 साल तक वह कुछ नहीं कर पाया, बाद में आकर बोला हमसे नहीं हो पाएगा ।
*** संभाजी महाराज एक,ऐसे योद्धा थे जिन्होंने 9 साल में 120 लड़ाई लड़ी लेकिन एक भी नहीं हारे।
संभाजी महाराज ने 9 साल तक औरंगजेब को मराठाओं के बीच घुमाता रहा । औरंगजेब के पास 8 लाख की सेना थी जबकि संभाजी महाराज के पास 20 हजार की सेना थी , औरंगजेब एक बार भी नहीं जीता दक्षिण में औरंगजेब ने अपना सारा सेना लगा दिया था , तब संभाजी महाराज ने उत्तर में उधर पंजाब, बुंदेलखंड , राजस्थान में हिंदू राजाओं का वर्चस्व स्थापित हो गया । इस तरह औरंगजेब का पूरे भारत को जीतने का सपना, सपना ही रह गया , तब औरंगजेब बहुत घबरा गया और संभाजी महाराज से बदला लेने का सोचने लगा।

****संभाजी महाराज कवि कलश एक बार गुप्त मीटिंग के लिए एक रास्ते से जा रहे थे तभी गणोजी सीरके ने औरंगजेब के एक सेना को इसकी सूचना दे दी । औरंगजेब की सेनोओ ने संभाजी महाराज को घेर लिया और बंदी बनाकर ले गया, औरंगजेब ने अत्याचार की सारी हदें पार कर दिया फिर भी संभाजी महाराज डटे रहे , 40 दिन तक अलग-अलग तरीके से उनको परेशान किया गया, उनके खाल उधार दिए गए, आंख में गर्म सरिया डाला गया तभी वे औरंगजेब के सामने झुके नहीं ।
बाद में औरंगजेब ने उनको छोटे-छोटे टुकड़ों कर कर कोल्हापुर में नदी के किनारे फेंक दिया , तब वहां के लोगों ने उनको इकट्ठा करके, उनका अंतिम संस्कार किया । ऐसे योद्धाओं को इतिहास कभी नहीं भूला सकते क्योंकि उन्होंने अपने धर्म और राष्ट्र के रक्षा के लिए अपना सब कुछ निछावर कर दिया, ऐसे योद्धाओं को दिल से सादर प्रणाम ।
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